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संजय कपूर की विरासत पर फैसला जल्द, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा आदेश

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नई दिल्ली।
दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की निजी संपत्ति और उत्तराधिकार को लेकर चल रहा बहुचर्चित कानूनी विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मामला न केवल पारिवारिक उत्तराधिकार से जुड़ा है, बल्कि इसमें बड़ी कॉरपोरेट हिस्सेदारी, निजी संपत्ति और एक विवादित वसीयत भी केंद्र में है।
यह याचिका संजय कपूर की पहली पत्नी, अभिनेत्री करिश्मा कपूर से हुए बच्चों—समायरा और कियान—की ओर से दायर की गई है। बच्चों ने अपनी सौतेली मां प्रिया कपूर के खिलाफ अदालत का रुख किया है। उनका आग्रह है कि अदालत अंतरिम आदेश जारी कर प्रिया कपूर को संपत्तियों के हस्तांतरण या लेन-देन से रोके।
विवाद की जड़ में संजय कपूर की कथित वसीयत है, जिसकी वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। इस वसीयत को संजय कपूर की मां रानी कपूर और उनके बच्चों ने चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिन संपत्तियों का मूल्य हजारों करोड़ रुपये बताया जा रहा है, उन्हें अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों में बेहद कम आंका गया है, जिससे संदेह उत्पन्न होता है।
मामले की सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने स्पष्ट किया कि सभी मौखिक और लिखित दलीलें रिकॉर्ड पर ले ली गई हैं और अब किसी भी नए दस्तावेज को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अदालत ने संकेत दिया कि फैसला उपलब्ध तथ्यों और दलीलों के आधार पर ही दिया जाएगा।
प्रिया कपूर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने अदालत में यह स्पष्ट किया कि संपत्ति को छिपाने या विदेश भेजने के आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि प्रिया कपूर ने सभी वित्तीय दस्तावेज और कॉरपोरेट रिकॉर्ड अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए हैं। कुछ व्यक्तिगत वस्तुओं को लेकर लगाए गए आरोपों को भी उन्होंने अप्रमाणित बताया।
वहीं, बच्चों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने वसीयत को संदिग्ध बताते हुए उसकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने अदालत का ध्यान इस ओर दिलाया कि वसीयत में कई असंगतियां हैं, जिनकी गहन जांच आवश्यक है। उनके अनुसार, वसीयत का प्रारूप, भाषा और लाभार्थी से जुड़े पहलू संदेह पैदा करते हैं।
संजय कपूर की मां रानी कपूर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वैभव गग्गर ने तर्क दिया कि यह कल्पना से परे है कि संजय कपूर अपनी मां और बच्चों को पूरी तरह नजरअंदाज कर केवल एक व्यक्ति के नाम अपनी सारी निजी संपत्ति छोड़ दें। उन्होंने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि संजय कपूर के निधन के बाद संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर जल्दबाजी दिखाई गई।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि संपत्ति का पूरा विवरण अभी तक सामने नहीं आया है और कई मूल्यवान परिसंपत्तियों को सूची में शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में संपत्ति के वास्तविक मूल्यांकन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
अब दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हैं। अदालत का आदेश यह तय करेगा कि इस हाई-प्रोफाइल उत्तराधिकार विवाद में आगे की प्रक्रिया किस दिशा में जाएगी और क्या संपत्तियों पर कोई अंतरिम रोक लगाई जाएगी।

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